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अगर आप भी घर से बाहर खाने-पीने के शौकीन हैं, तो संभल जाएं। आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच सालों में दूषित खाद्य और पेय पदार्थों के सेवन के कारण पेट संबंधित बीमारियों में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, सड़क किनारे लगने वाले ठेले या साफ-सफाई को अनदेखा करके तैयार होने वाले खाद्य और पेय पदार्थों के कारण ऐसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। मुंबई में ज्यादातर समय लोग यात्रा के दौरान सड़क किनारे बनने वाल समोसे, वडा पाव आदि का सेवन करते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, छोटी-छोटी जगहों पर तैयार होने वाले इस तरह के फास्ट फूड में साफ-सफाई को लेकर लापरवाही बरती जाती है। इसके चलते यह दूषित होता है और इसका इस्तेमाल करने पर पेट की बीमारियां होती हैं। कई बार यह समस्या लिवर तक को काफी खराब कर देती है।
बीएमसी स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार, 2015 में महानगर में हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई के 1184 मामले सामने आए थे जो 2019 में बढ़कर 1421 हो गए। हालांकि 2019 का आंकड़ा अक्टूबर तक का ही है। इस साल के अंत तक यह संख्या और बढ़ सकती है।
केईएम अस्पताल के पूर्व डीन और गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. अविनाश सुपे ने कहा कि हेपेटाइटिस ए और ई की समस्या दूषित खाना और पानी है। चूंकि मुंबई का पानी काफी अच्छा है, इसलिए यहां होने वाली इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण बाहर का अस्वच्छ तरीके से तैयार होने वाले खाद्य पदार्थ है। इसके अलावा कई बार बीएमसी की पाइप लाइन में लीकेज की समस्या भी हो जाती है, जिससे आसपास के बैक्टीरिया पानी के रास्ते घरों तक पहुंच जाते हैं और लोगों को बीमारी का सामना करना पड़ता है। हेपेटाइटिस की शिकायत उतनी गंभीर तो नहीं है, लेकिन इसका बुरा असर लिवर पर पड़ सकता है। वहीं गंभीरता बढ़ने पर मरीज की जान तक जा सकती है।
संक्रमण रोग विशेषज्ञ डॉ. ओम श्रीवास्तव ने कहा कि सड़क किनारे तैयार होने वाले अस्वच्छ तरीके से खाद्य पदार्थों के अलावा बर्फ से तैयार होने वाले प्रॉडक्ट भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। जूस की दुकानों और गोले में इस्तेमाल होने वाली बर्फ का रखरखाव बेहतर तरीके से नहीं होता। इसके कारण उनमें संक्रमण फैलता है और इसका इस्तेमाल करने वालों को बीमारियों का सामना करना पड़ता है।