चंडीगढ़।
पटियाला में निहंगों के हाथों के शिकार हरजीत के लिए अगले 48 से 72 घंटे बहुत ही महत्वपूर्ण है। डॉक्टरों का दावा है कि अगर ब्लड सर्कुलेशन सही तो अगले छह महीने में हरजीत का हाथ काम करने लगेगा। इस कामयाबी के लिए डॉक्टरों की पूरी टीम को देश उन्हें सलाम करता है। बता दें कि चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टरों की टीम ने साढ़े सात घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद एएसआई की कटी हुई कलाई को जोड़ दी है। डॉक्टरों की पूरी टीम को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पंजाब डीजी ने सैल्यूट किया है। चंडीगढ़ पीजीआई डायरेक्टर प्रो. जगतराम ने भी इस ऑपरेशन को बड़ी कामयाबी बताया है और डॉक्टर्स की टीम को बधाई दी। दरअसल, पटियाला में रविवार सुबह कर्फ्यू पास मांगने भड़के निहंगों ने वहां तैनात एएसआई हरजीत सिंह को तलवार मारकर उनका हाथ काट दिया था।
सात घंटे तक चला था ऑपरेशन-
निहंगों के शिकार एएसआई और कटी कलाई को पीजीआई लाया गया था। यहां प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट के अलावा अन्य सीनियर डॉक्टर्स ने 7 घंटे 30 मिनट की सर्जरी के बाद हरजीत की कलाई जोड़ा। हालांकि, इसमें सिस्टम की तेजी भी बेहद महत्वपूर्ण रही है। पटियाला में वारदात होते ही पीजीआई में इसकी जानकारी दे दी गई थी। घायल एएसआई के आने से पहले ही प्लास्टिक सर्जरी और एनेस्थीसिया टीम गठित कर दी गई थीं। एएसआई के अस्पताल पहुंचते ही सर्जरी शुरू कर दी गई थी।
सही समय पर हरजीत को मिले डॉक्टर -
प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. आरके शर्मा ने बताया, ‘‘मरीज रविवार सुबह 7.45 बजे पीजीआई पहुंचा। कलाई तय स्टैंडर्ड के तहत ही लाई गई थी, जिससे हमारी टीम को ऑपरेशन करने में थोड़ी आसानी हुई। कलाई लाने में अगर कुछ देर और हो जाती तो सर्जरी करना मुश्किल होता। हमने पहले ही डॉक्टर्स, एनेस्थीसिया और नर्सिंग स्टाफ की टीम बना ली थी। 10 बजे हाथ को री-इंप्लांट करना शुरू किया। पहले एनेस्थीसिया टीम ने मरीज को बेहोश किया। ऑपरेशन के दौरान मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया। सबसे पहले हड्डी जोड़ी। इसके बाद हाथ की नसों को रिपेयर कर जोड़ा। 20-25 मांसपेशियों को जोड़ा गया। 2 नर्व्स को जोड़ा गया। इस पूरी प्रोसेस में साढ़े सात घंटे लगे। ज्यादा समय नसों को रिपेयर करने में लगता है, क्योंकि इन्हीं के जरिए ब्लड सर्कुलेशन संभव हो पाता है। टीम ने शाम 5:05 बजे ऑपरेशन पूरा करने में किया। ऑपरेशन सफल रहा और हाथ बिल्कुल सही तरीके से जुड़ गया है। अगले 24 से 48 घंटे मरीज और हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इस दौरान हाथ में ब्लड सर्कुलेशन शुरू हुआ या नहीं, इसका पता चल जाता है। उम्मीद है सब सही होगा।’’
डॉक्टरों के लिए तीन चुनौती -
1. नसों में ब्लड सर्कुलेशन शुरू होना जरूरी, इसके बाद रिकवरी पर जोर।
2. घाव भरने के बाद फिजियोथैरेपी से हाथ में मूवमेंट लाने के लिए कम से कम 6 महीने का समय लगेगा।
3. पूरी तरह रिकवर होने के बाद भी भारी सामान नहीं उठा पाएंगे।
एएसआई का विल पावर मजबूत
डॉक्टर शर्मा के मुताबिक, मरीज का विल पावर मजबूत थी, क्योंकि पटियाला में उनके सामने ही कटे हाथ को उठाया गया। सर्जरी सफल रही, अब आगे भी एएसआई की विल पावर ही रिकवरी में काम आएगी।
शरीर का कोई अंग कट जाए तो ये करें
किसी हादसे या लड़ाई में कोई अंग कट जाए तो 3 घंटे में उस हॉस्पिटल पहुंचाना जरूरी है, जहां पर कटे अंग को जोड़ने की सुविधा हो। कटे हुए अंग को बर्फ या पानी से बचाकर रखना चाहिए। इससे वेसल्स जुड़ने की कंडीशन में नहीं होती। कटे अंग को साफ प्लास्टिक बैग में डालना चाहिए। फिर इसे बैग को एक और प्लास्टिक बैग में डालकर आइस बॉक्स में रख दें।
इस टीम ने जोड़ा हाथ
डॉ. शर्मा ने बताया कि ऐसे ऑपरेशन टीम वर्क से ही सफल हो पाते हैं। इसमें आधा दर्जन सीनियर रेजिडेंट्स और एनेस्थीसिया की टीम के अलावा नर्सिंग स्टाफ का अहम योगदान रहा। टीम का नेतृत्व सीनियर रेजिडेंट्स डॉ. सुनील गाबा, डॉ. जेरी आर जॉन ने किया। डॉ. सूरज नैयर, डॉ. मयंक, डॉ. चंद्रा, और एनेस्थीसिया टीम से डॉ. शुभेंदू, सीनियर रेजिडेंट डॉ. अभिषेक और पूर्णिमा भी मौजूद रहे। नर्सिंग टीम में सीनियर नर्सिंग अरविंद, स्नेहा और अर्श की अहम भूमिका रही।